|किसी डॉ0 को देख लीजिये यहाँ तक कि आज के ६० % से अधिक शिक्षको को देख लीजिये जो जमीर औए शिक्षा दोनों बेचने को दिन रात बेचैन है |तब नेताओ को भी देखिये जिनके पास खाने को नहीं था आज वे किसी घर वाले के मरने पर और परिवार कि किसी शादी पर करोडो खर्च कर रहे है, टूटी साईकिल नहीं थी और अब गाडियों का बेडा चलता है,झोपड़ी नहीं थी और अब महलों कि संख्या उन्हें भी याद नहीं है |